जीवन का गहन शिक्षक – अनुभव
अनुभव एक गुरु होता है..
वह पाने के लिए हर एक को किमत चुकानी पडती है।
एक बार की बात है एक पानी के जहाज़ के इंजन में खराबी आ जाती हैं, किसी को कुछ समझ नहीं आता की गड़बड़ी आखिर हैं कहाँ।
उस खराबी को ठीक करने के लिए बहुत सारे मैकेनिक बुलाये जाते हैं पर किसी को जहाज़ की गड़बड़ी समझ नहीं आती हैं।
आखिर में जहाज़ के कप्तान को मालूम चलता हैं कि एक बुढ़ा मैकेनिक हैं, जो शायद इसको ठीक कर दे। कही और से कोई मदद मिलती ना देख कप्तान उसी मैकेनिक को बुलाता हैं।
बूढा मैकेनिक आता हैं और इंजन का निरिक्षण करता हैं, फिर अपने औज़ारो के बक्से में से एक छोटी हथौडी निकालता हैं और धीरे से इंजन पर मारता हैं।
इंजन में दोबारा जीवन आ जाता हैं और वह चालू हो जाता हैं।
इसके बाद बूढा मैकेनिक कप्तान को अपने मेहनताना का हिसाब भेजता हैं जो होता हैं ३००० डॉलर। इसको देख कर कप्तान सोचता हैं कि एक हथौडी चलने के ३००० हज़ार डॉलर कैसे? कप्तान बहुत चालाकी से बूढ़े मैकेनिक से कहता हैं कि “मुझे इसका काम के अनुसार बिल तोड़ के दो।”
बूढा मैकेनिक कहता हैं, १ डॉलर हथौडी चलने का और २९९९ डॉलर यह जानने का कि हथौडी कहा चलनी हैं।
बस यही हैं अनुभव की कीमत। काम करते-करते आपको इतने अनुभव हो जाते हैं कि आप अपने काम में और अच्छे होते जाते हो।
हमारे देश की सबसे बड़ी कमी है कि हम बच्चों से हाथ से काम नहीं कराते हैं जिससे उन्हें जीवन में अनुभव प्राप्त नहीं होता है। अनुभव बाजार में नहीं बिकता, ना देखने से आता । तैरना, साइकिल चलाना, रोटी बनाना, पढाई करना, दूसरों से मिलना इत्यादि ये सब अनुभव हैं और खुद ही पाना होता है। राजा लोग, लडाई खुद लडते थे ताकि अनुभव बना रहे।