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जून, 2021 |

ईंधन संरक्षण

हमारे जीवन को चलाने के लिए भोजन एक ईंधन की भांति काम करता है। आइए समझते हैं कि आखिर ईंधन होता क्या है और हमारे जीवन में इसकी उपयोगिता क्या है? ईंधन वो साधन या संसाधन होता है जिससे उर्जा मिलती है। किसी भी देश की अर्थव्यवस्था का आधारभूत तत्व होता है। आज जिसके पास जितना ईंधन मौजूद है वह देश उतना ज्यादा विकसित है।

हमें खुद को जीवित रखने के लिए विभिन्न चीजों की आवश्यकता होती है जिसमें सबसे महत्वपूर्ण होता है भोजन। खाना पकाने के लिए हमें ईंधन की आवश्यकता होती है। इसलिए ईंधन बहुत महत्वपूर्ण है और इसकी भूमिका अपरिहार्य है। उदाहरण के लिए भोजन मानव शरीर में ईंधन की तरह काम करता है। यह मानव शरीर को ऊर्जा देता है और साथ ही मानव और जानवरों के विकास और जीवन को बनाए रखने में मदद करता है।

सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि हम मनुष्य जिस वातावरण में निवास करते हैं, उसके बारे में नहीं सोचते। हमारा अस्तित्व भी इसी पर्यावरण से है। हमने अपने स्वार्थवश अपनी इस खूबसूरत पृथ्वी को प्रदषिू त कर दिया है। हालांकि, जीवाश्म ईंधन के जलने से काले और जहरीले धुएं ने इस खूबसूरत धरती को इस हद तक नुकसान पहुंचाया है कि इसकी शुध्दता और सुंदरता को पुनः पाना असंभव प्रतीत होता है।

यह बात गौर करने की है कि इन जीवाश्म ईंधनो के जलने से कार्बन-डाई-ऑक्साइड गैस निकलती है जो वैश्विक तापमान (ग्लोबल वार्मिंग) का मुख्य कारण है। साथ ही ओजोन परत के क्षरण के लिए भी जिम्मेदार हैं।

ईंधन किसे कहते हैं?

ईंधन का अर्थ एक पदार्थ है जो परमाणु ऊर्जागर्मी या शक्ति प्रदान करने के लिए जलाया जाता है। कोयला, लकड़ी, तेल या गैस जैसी सामग्री जलने पर उष्मा निकलती है। मेथनॉल, गैसोलीन, डीजल, प्रोपेन, प्राकृ तिक गैस, हाइड्रोजन आदि ईंधन के प्रकार हैं। प्लूटोनियम को जलाने से परमाणु ऊर्जा उत्पन्न होती है।

ईंधन दक्षता या ईंधन अर्थव्यवस्था से हम यह माप सकते हैं कि कोई भी वाहन कितने समय तक यात्रा कर सकता है, जो ईंधन की खपत के विपरीत है। ईंधन की खपत एक विशेष दरूी को यात्रा करने के लिए ईंधन वाहन के उपयोग की मात्रा है। ईंधन की क्षमता किलोमीटर प्रति लीटर में मापी जाती है। जिस दक्षता के साथ ईंधन ऊर्जा का रूपांतरण करता है, उसे ईंधन दक्षता के रूप में जाना जाता है।

ईंधन के प्रकार

ईंधन वो पदार्थ होते हैं जो आक्सीजन से क्रिया करके उष्मा का उत्पादन करते हैं। ईंधन संस्कृत के ‘इन्ध’ धातु से बना है जिसका अर्थ होता है ‘जलाना’। ईंधन कई प्रकार के होते हैं- जैसे ठोस, द्रव, गैस, परमाणवीय या नाभिकीय आदि।

  • ठोस ईंधन: वो ईंधन जो ठोस होते है, उन्हें ठोस ईंधन कहते हैं। ठोस ईंधनों में लकड़ी, पीट, लिग्नाइट, कोयला आदि आते हैं। इनको जलाने के बाद राख निकलती है और ये कम मात्रा में उष्मा उत्पन्न करते हैं।
  • द्रव ईंधन: द्रव ईंधन वो होते हैं जो द्रव अवस्था में होते है। इनमें पेट्रोलियम जैसे डीजल, पेट्रोल, मिट्टी का तेल, कोलतार आदि आते हैं। इनको जलाने के बाद राख नहीं निकलती और ये अधिक मात्रा में उष्मा का निष्कासन करते हैं।
  • गैस ईंधन: गैसीय ईंधन अत्यधिक ज्वलनशील होते है और सबसे ज्यादा उपयोगी भी। इसमें प्राकृतिक गैस जैसे हाइड्रोजन, प्रोपेन, कोयला गैस, एलपीजी (तरल पेट्रोलियम गैस) आदि आते हैं। एलपीजी तो हमारे रोजमर्रा की जिन्दगी का हिस्सा है। आजकल बिना इसके घरों में खाना नहीं बन सकता। साथ ही बड़े-बड़े उद्योग-धंधे भी इसी पर टिके होते हैं।

नाभिकीय ईंधन भी अत्यधिक महत्वपूर्ण होते है। इसके अन्तर्गत नाभिकीय विखंडन और नाभिकीय संलयन जैसी क्रियाएं होती है।

स्रोत के आधार पर भी इसके तीन प्रकार होते हैं:

  1.  रसायनिक ईंधन- इनमें मुख्यतः हाइड्रोजन, मिथेन आदि आते हैं।
  2.  जीवाश्म ईंधन- इनमें कोयला और पेट्रोलियम विशेषतः आते हैं।
  3.  जैव ईंधन-लकड़ी, काष्ठ, कोयला, बायो डीजल (जैव डीजल) इसके अन्तर्गत आते हैं।

बढ़ती जनसंख्या के कारण दिन पर दिन ईंधन की भी मांग बढंती जा रही है। वस्तुओं के उत्पादन और अन्य सविधाओं के लिए समान रूप से ईंधन की बढ़ती मात्रा की आवश्यकता को देखते हुए नवीन साधनों को खोजने की जरुरत है। हमें ईंधन की बचत करनी चाहिए, कुछ महत्वपूर्णनियम जैसे कार ड्राइविंग के लिए ड्राइविंग दिशानिर्देशों का पालन करना चाहिए। ईंधन के संरक्षण में कार पूलिंग से बहुत मदद मिल सकती है। यदि हम एक ही गंतव्य पर जा रहे हैं, तो अलग अलग जाने के बजाय एक वाहन में जा सकते हैं। इससे ईंधन तो बचेगा ही साथ ही प्रदषू ण कम होगा और यातायात जाम़ भी रुकेगा अन्यथा जिस प्रकार से हम ईंधनो का अनावश्यक उपयोग कर रहे है, वह दिन दूर नहीं जब धरती से ये प्राकृतिक ईंधन खत्म हो जायेंगे। और साथ ही इससे प्रकृति का सन्तुलन भी बिगड़ जायेगा।

 

 

 

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