कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम 1948 (ESIC)
कर्मचारी राज्य बीमा योजना, एक बहुआयामी सामाजिक सुरक्षा प्रणाली है जो इस योजना के तहत शामिल श्रमिक और उनके आश्रितों को सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए तैयार की गई है। स्वयं और आश्रितों के लिए पूर्ण चिकित्सा देखभाल के अलावा, जो कि बीमा योग्य रोजगार के पहले दिन से स्वीकार्य है, बीमित व्यक्ति बीमारी, अस्थायी या स्थायी अक्षमता आदि के कारण शारीरिक संकट के समय में विभिन्न प्रकार के नकद लाभों के भी हकदार होता हैं। यदि बीमाकृत व्यक्ति जो औद्योगिक दुर्घटनाओं में या कार्य के दौरन चोट लगने या व्यावसायिक खतरे के कारण मृत्यु हो जाती हैं तो आश्रित लाभ नामक मासिक पेंशन के हकदार हैं।
पात्रता:- कर्मचारी जिनकी कुल सकल आय 21,000 रूपये प्रतिमाह या उससे कम है वे इस योजना के लिए पात्र हैं। इसमें कर्मचारी का योगदान 0.75% प्रतिशत तथा रोजगार प्रदाता का योगदान 3.25% प्रतिशत होता है।
इसमें चिकित्सीय लाभ इस प्रकार हैं :-
- चिकित्सीय लाभ-इसके अन्तर्गत सर्दी खांसी, जुकाम, बुखार, कामजोरी आदि जैसी मुफ्त चिकित्सकिय इलाज एवं दवाएं उपलब्ध होती है। चिकित्सकों के परामर्श पर अधिकतम 91 दिन छुट्टी के साथ-साथ 70% दैनिक वेतन देय का प्रावधान है।
- बीमारी लाभ- इसके अन्तर्गत सर्जरी, फ्रैक्चर और किडनी ट्रांसप्लांट, आदि जैसी बिमारियों के लिए मुफ्त इलाज एवं दवाएँ, साथ ही पैथोलॉजी की सुविधा मुफ्त उपलब्ध होती है। आवश्यक्तानुसार चिकित्सकों के परामर्श पर 124 से 309 दिन छुट्टी के साथ 70% दैनिक देय का प्रावधान है । जिसके लिए बीमित ब्यक्ति का 2 साल का अंशदान जमा होना अनिवार्य है।
- मातृत्व लाभ- इसके अन्तर्गत महिला प्रसव के लिए मुफ़्त इलाज और दवाएँ, साथ ही पैथोलॉजी की सुविधा मुफ़्त उपलब्ध होती है। तथा नवजात शिशु की देख भाल के लिए 26 सप्ताह की अधिकतम छुट्टी के साथ 100% दैनिक वेतन देय का प्रावधान है। गर्भ के नष्ट हो जाने पर 6 सप्ताह की अधिकतम छुट्टी के साथ 100% दैनिक वेतन देय का प्रावधान है।जिसके लिए बीमित ब्यक्ति का 70 दिन का अंशदान जमा होना अनिवार्य है।
- अपंगता लाभ- बीमित के व्यक्ति अस्थायी या स्थायी अपंगता के दौरन 70% दैनिक देय का प्रावधान होता है।
- आश्रित का लाभ- आश्रित लाभ के लिए दोनों छमाही वर्ष में 78 दिन का अंशदान जमा होना अनिवार्य होता है।
- अंतिम संस्कार व्यय- यदि बीमाकृत व्यक्ति जो औद्योगिक दुर्घटनाओं में या कार्य के दौरन चोट लगने या व्यावसायिक खतरे के कारण मृत्यु हो जाती हैं तो उसके अंतिम संस्कार के लिए 15000 रुपये की राशि का प्रावधान होता है । उनके आश्रितों को पेंशन का प्रावधान है एवं बच्चों को 18 साल की अवस्था तक पेंशन मिलती है।