मन का हो तो अच्छा, मन का ना हो तो और भी अच्छा

- वेद कृष्णा

अगस्त, 2021 |

प्रिय साथियों,

हरिवंश राय बच्चन जी की प्रसिध कहावत है ‘मन का हो तो अच्छा, मन का ना हो तो और भी अच्छा’। इस एक वाक्य ने मेरे जीवन के दृष्टिकोण को बदल दिया है। हम चाहते हैं की सब कुछ हमारे मन मुताबिक़ हो परंतु हमारी सोच और समझ अत्यधिक सीमित है। कायनात जीवन के बारे में हमसे बहुत अधिक ज्ञात है और जब मन के अनुसार नहीं होता है तो इसका मतलब है की हमसे कायनात कुछ और चाह रही है। इसे जब हम स्वीकारते हैं तो हमारे जीवन में क्रांति प्रकट होती है एंड बेचैनी हट जाति है। मेरे जीवन में जब सोच के विपरीत होता है तो मैं इंतेज़ार करता हूँ की कुछ अनोखा प्रकट होने वाला है और अक्सर कुछ नया अवसर प्रदान होता है।

मैंने सोचा था की आने वाले समय में मैं अपना अधिक टाइम GCA की ओर समर्पित करूँगा और हम दुनिया भर के बाइओडिग्रेडबल पैकिजिंग उद्योग साथ इकट्ठा करेंगे। इस दिशा में कार्य चलु हुआ परंतु ऐसा महसूस हुआ कि YCL को ठीक राह पकड़ानी ज़रूरी है। जब सलाहकारों से बात की तो उन्होंने भी यही सोच दोहरायी।

इस माह मैंने कई वर्षों बाद व्यापार में फिरसे दख़ल चालू की और तुरंत आगे बढ़ने की कई दिशा प्रकट होने लगीं।

Compostable Business अपने लिए सही माईने में धरती के लिए योगदान छिड़ने का सुनहरा मौक़ा है। हम विश्व भर में एक ऐसी स्तिथि में हैं की मोल्डेड प्रॉडक्ट्स के द्वारा क्रांति ला सकते हैं।

इस कार्य के लिये एकाग्रता और ऊर्जा लानी होगी- पिछले माह के अनुभव से जो सीख मिली है उसके कुछ अंश आपसे बाटना चाहूँगा:

1) व्यापार में सारी योजना ग्राहक व मार्केट के आधार पर होनी चाहिए: अगर अपने उत्पाद के लिए बाज़ार उपलब्ध है तो सिर्फ़ और सिर्फ़ हम और हमारी क़ाबिलियत बीच में रोड़ा है। इस व्यापार में साफ़ है की ख़पत मौजूद है, हमें अपने को सक्षम बनाना होगा की ग्राहक हमसे ही व्यापार करना चाहे जिसके लिए सही प्रोडक्ट, सर्विस, डिलेवरी और दाम ज़रूरी हैं।

2) लक्ष्य की ओर केंद्रित रहना आवश्यक है: हम बहुत जल्दी बिखर जाते हैं। हमें लगता है कि किसी भी अवसर को नहीं चिड़ना चाहिए, यह बड़ी भूल है। हमें समझना होगा की हम किस दिशा में काना चाह रहें हैं और सारी ऊर्जा उसी दिशा में समर्पित करनी होगी।

3) हर चुनौती अवसर साथ लाती है: कोविड के कारण रेस्ट्रॉंट और होटेल के व्यापार पर प्रभाव पड़ा और यही हमारे ग्राहक थे। अब हम चुन सकते हैं की हताश्त हो कर इंतेज़ार करें या और प्रयोग चालू करें। रीटेल व निर्यात के क्षेत्र में कई सम्भावनाएँ प्रदान हुईं और हमारा कार्य है की जल्द सोच में परिवर्तन कर इन अफ़सरों का सदुपयोग करें।

4) निर्णय ले कर आगे बड़ना ज़रूरी है: मैं देखता हूँ की नेतृत्व करते समय हम डर जाते हैं की हमारा निर्णय ग़लत ना हो परंतु आगे बड़ना अति आवश्यक है और निर्णय स्थगित करने से ज़्यादा हानि पहुँचती है। आपस में सलाह कर को रह सही लगे उस पर पूरी ऊर्जा के साथ समर्पित हो जाना चाहिए।

5) अपनी टीम को बनाए रखना अति आवश्यक है: मेरे 22 वर्ष के अनुभव में ‘सही’ व्यक्ति आज तक प्रकट नहीं हुआ। हम सब अपनी त्रुटियाँ ले कर आते हैं। यह ज़रूरी है की हमारी सोच व्यापार के साथ जुड़ी हो और हम काम करने से ना कतराएँ। मैंने देखा है की सही नेतृत्व में ज़ीरो भी हीरो हो जाता है और ग़लत नेतृत्व हीरो को ज़ीरो बना देती है।

हम सब ने प्रगति की ओर कार्य चालू किया है और मेरा पूरा विश्वास है की आप सब की ऊर्जा और मर्गदर्शन के द्वारा हम अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने में सफल होंगे।

शुभकामनाओं सहित,
आपका,
वेद

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