मैं पैका फाउंडेशन को एक स्वच्छ पर्यावरण के प्रति कार्य करने योग्य बनाने की इच्छा रखती हूँ।

-सरिता उपाध्याय

जून, 2022 |

मैं पैका फाउंडेशन को शिक्षा,आजीविका और एक स्वच्छ पर्यावरण के प्रति कार्य करने योग्य बनाने की इच्छा रखती हूँ।

जन्म स्थान: वाराणसी

परिवार: वसुधैव कुटुम्बकम

जन्म तिथि: 1.7.1977

मैं अपने बारे मे यश पैका परिवार को बताने के प्रति बेहद उत्साहित हूँ, और मुझे आशा है कि आप सब भी मेरे बारे मे और ज्यादा जानने के प्रति उतने ही उत्साहित होंगे। मैं पैका फाउंडेशन के साथ मई 2022 में जुड़ी थी ताकि हमारे आस-पास के समुदाय को विकसित करने हेतु उनके द्वारा शिक्षा,रोजगार एवं पारितंत्र के संदर्भ में किए जा रहे प्रयासों का नेतृत्व कर सकूँ। मैं पैका फाउंडेशन को एक प्रमुख ग्लोबल फाउंडेशन के तौर पर निर्मित करने हेतु आप सब के साथ काम करने की इच्छा रखती हूँ तथा हम सब शिक्षा,आजीविका एवं एक स्वच्छ पर्यावरण की गुणवत्ता पर उल्लेखनीय ढंग से प्रभाव डालते हैं चाहे हम कहीं भी मौजूद हो।

मैं लखनऊ की रहने वाली हूँ तथा मैंने एक दशक से भी ज्यादा समय सोशल सेक्टर में बिताया है, जहाँ मैंने युवाओं को स्कूल के पश्चात् उन्हें उनके आने वाले जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करने हेतु उनके साथ काम किया है। मेरा अब तक का समय शैक्षणिक समुदाय और नियोक्तओं को एक मंच पर लाकर शिक्षा और रोजगार के बीच की खाई को पाटने मे बीता है। मैं यश स्किल्स को देखकर खुश हूँ, जो कि अब पैका फाउंडेशन का एक हिस्सा है, और यश पैका लिमिटेड के साथ मिलकर काम करता है,नजदीकी गाँवों के छात्रों के एम्पलॉयएबिलिटी स्किल्स को निर्मित करते हुए एक उल्लेखनीय प्रभाव तथा उनकी आजीविका पर पर्याप्त प्रभाव डाल रहा है।   

मैं हर उस व्यक्ति को धन्यवाद देना चाहूंगी जिसने हमारे विद्यार्थियों का भविष्य बनाने हेतु फैक्ट्री मे ऑन-द-ट्रेनिंग विजिट्स तथा इंटर्नशिप्स के लिए उनके मैंटोर बनते हुए योगदान दिया है। 

मैं एक स्टोरी भी आप सबके साथ शेयर करना चाहती हूँ जिस पर मेरी नज़र कुछ हफ्तों पहले पैका फाउंडेशन मे पड़ी है। मुझे विश्वास है कि आप सब भी उसे सुनकर उतने ही उत्साहित होंगे। हमारे पल्प, पेपर, तथा फाईबर मोल्डेड प्रोडक्ट्स ऑप्रेशन्स कोर्स के पहले बैच के 20 छात्रों ने सैंट्रल पेपर एंड पल्प रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीपीपीआरआई) से राइगोरोस रेजिडेंशियल प्रोग्राम का एक माह पूरा कर लिया है। उन सबके चेहरों की मुस्कान ने सब कुछ बयाँ कर दिया है। 

आने वाले महीनों में, मैं आपके आस-पास के गाँवों की और कहानियाँ भी शेयर करुँगी तथा आपके आस-पास के जीवन को और बेहतर बनाने के संदर्भ में फाउंडेशन के लिए अगर आपके पास कोई सुझाव हों तो उनका भी स्वागत करुँगी।

 

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