हमें अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करना चाहिए लेकिन निराश नहीं होना चाहिए!
- Ved Krishna
प्रिय साथियों,
कई बार जीवन में जो हम चाहते हैं वह नहीं होता और हम निराश होते हैं परंतु जब हम पीछे मुड़ कर देखते हैं तो ज्ञात होता है की जो हुआ अच्छे के लिये हुआ। मुझे पिछले माह के अंत में अपने परिवार व सास/ ससुर के साथ साउथ अफ़्रीका के दौरे पर जाना था और यह कार्यक्रम का पिछले साल भर से इंतज़ार था परंतु वीज़ा में दिक़्क़त आने की वजह से कार्य संपूर्ण नहीं हुआ और परिवार और मुझे इसकी निराशा थी। इस परिस्थिति को मैं अपनी माता जी के साथ बाँट रहा था और मैंने इच्छा जताई की मैं अकेले मोटरसाइकिल से भूटान का भ्रमण करने की सोच रहा हूँ। मेरी माँ ने तुरंत कहा की वो भी मेरे साथ जाना चाहेंगी और इससे मेरा उत्साह बड़ा। हम साथ (सिर्फ़ माँ और बेटा) जीवन में पहली बार 8 दिन के दौरे में गये और मेरे जीवन की यह सबसे महत्वपूर्ण यात्राओं में साबित हुई।
मुझे मेरी माँ के साथ समय प्राप्त हुआ और उनकी सेवा का अवसर मिला। मेरी माँ ने 71 वर्ष की उम्र में मेरे साथ मोटरसाइकिल पर यात्रा की और एक अत्यधिक सुंदर क्षेत्र का भ्रमण किया। हमने निर्णय लिया की हर वर्ष हम एक सप्ताह साथ यात्रा करेंगे। हमारे संबंध की घनिष्ठता बड़ी और आपसी प्रशंसा में वृद्धि हुई। रोज़मर्रा की ज़िंदगी में जो बारे करने का मौक़ा प्राप्त नहीं होता है वह प्राप्त हुआ। और यह सब बस इस कारण हो पाया क्योंकि कायनात ने प्लान की हुई योजना को कार्यान्वित होने से रोका। इससे यह सबक़ मिला कि हमें पूरा प्रयास करना चाहिए परंतु निराश नहीं होना चाहिए क्योंकि कायनात के इरादे का हमें अंदेशा नहीं होता।
मेरी छोटी बेटी और पत्नी निराश थे क्योंकि उन्होंने जो प्लानिंग कर रखी थी वह संभव नहीं हो पायी और मेरी पत्नी ने सुझाव दिया की मैं उन्हें साउथ अफ़्रीका की जगह मैडागास्कर में मिल लूँ जो की मेरे प्रोग्राम में नहीं था। यह मेरे लिये बहुत मुश्किल था क्योंकि अपनी बोर्ड मीटिंग व कई मेहमानों का कार्यक्रम उसी समय था। मैंने औरों से विचार विमश किया और हमने तरीक़ा निकाला की मैं जो ज़रूरी मीटिंग हैं वह वीडियो के द्वारा मैडागास्कर से जुड़ सकता हूँ और अन्य लोग मेहमान नवाज़ी कर सकते हैं। इस प्रकार मैं अपनी छोटी बेटी और पत्नी के साथ भी समय प्राप्त कर पाया और एक नये क्षेत्र का भ्रमण भी संभव हुआ। मैंने ज़ारा को सरप्राइज़ दिया और उसकी ख़ुशी की सीमा ना थी। रोमांचक बात यह है कि दोनों यात्राओं के साथ काम जारी रहा क्योंकि मैं आधे दिन वीडियो और ईमेल के ज़रिए संपर्क बना सका। इससे यह सीख प्राप्त हुई की हर समय चुनाव की आवश्यकता नहीं होती। जीवन में हम कई अनुभव एक साथ प्राप्त कर सकते हैं।
भारत वापसी पर 3 गुरुओं ने अपनी लीडरशिप टीम के साथ 4 बहुमूल्य दिन बिताये और हमें अपने और नेतृत्व के बारे में और जागृत किया। यह आने वाले समय में ट्रेनिंग की श्रृंखला की पहली कड़ी थी और तक़रीबन हर माह अब हम गुरुजनों के माध्यम से अपनी सोच में और वृद्धि लेंगे जिससे की हम अपने लक्ष्यों कि ओर बड़ने में और सक्षम बन पाएँ।
अपना जागृति प्रोजेक्ट प्रगति पाथ पर है। जगदीप जी ने चीन में समय बिताया और कई नयी टेक्नोलॉजियों के बारे में जानकारी प्राप्त की। हिमांशु जी ने पूँजी प्राप्त करने में कार्य आगे बढ़ाया और अब हमारा प्लान है की आने वाले महीने में ज़्यादातर महत्वपूर्ण ऑर्डर फाइनल कर दिये जाएँगे जिससे की हम आगे प्रगति करने में सक्षम होंगे।
उधर अमेरिका प्रोजेक्ट में भी प्रगति हो रही है। हमने दो ज़मीने शॉर्टलिस्ट कर लीं हैं और आगामी महीने में फाइनल करने का प्रोग्राम है। एडुआर्डो और मैंने एक और ज़रूरी गठबंधन के लिये कोलंबिया में समय बिताया और प्रगति की जिससे की उस क्षेत्र सबसे अग्रणी कंपनी अपने साथ ग्वाटेमाला में जुड़ेगी और हम उनसे और सीख पायेंगे।
R&D में भी कई गतिविधियाँ चल रहीं हैं। हम अपना फ्लेक्सिबल पैकेजिंग प्रोडक्ट इस माह लॉंच करेंगे। इसके किए अपनी इनोवेशन टीम को हार्दिक बधाई। यह अपनी यात्रा का एक महत्वपूर्ण चरण है। आगे कार्य बड़ाने के लिये मैंने कई अलग अलग संस्थाओं से USA व कोस्टा रिका में मुलाक़ात की और इसके तहत आगे आने वाले समय में कई गतिविधियाँ सामने आयेंगी।
हम अमेरिका में अपनी टीम में वृद्धि कर रहें हैं और अटलांटा शहर में अपने ऑफिस की स्थापना करेंगे जिससे आने वाले वर्ष में अपने उत्पादों को इस मार्केट में उतर पायेंगे।
अपने बोर्ड में हम और इज़ाफ़ा कर रहें हैं ताकि अपने को और मार्गदर्शन की प्राप्ति हो। अब हमें ऐसे लोग चाहियें जिन्हें विश्व स्तर पर कार्य करने का अनुभव हो और हमें सही राह दिखा पाएँ। इस श्रृंखला में अपने को श्री शुभम् टीब्रेवाल जी ने जॉइन किया। उनका अपने परिवार में स्वागत है। शुभम् जी फ़्रांस के नागरिक हैं और उन्हें वित्त क्षेत्र में काफ़ी अंतर्राष्ट्रीय अनुभव है। इन्होंने तक़रीबन 15 वर्ष पहले अपने साथ अयोध्या में ट्रेनिंग भी प्राप्त की थी।
हमें मिल कर इसी तरह प्रगति करते जानी है और कायनात पर पूरा विश्वास रखना है।
शुभकामनाओं सहित,
आपका,
वेद