ओजोन ब्लीचिंग
ओजोन (O3) एक ब्लीचिंग एजेंट है जो पल्प ब्लीचिंग प्रौद्योगिकी में से एक है | वर्तमान समय में इसका व्यवसायिक स्तर पर ब्लीचिंग एजेंट के रूप में प्रयोग होने लगा है | इसका उपयोग मुख्य रूप से ECF (Elemental chlorine bleaching ) & TCF (Total chlorine bleaching) ब्लीचिंग प्रोसेस में किया जाता है | क्लोरीन ब्लीचिंग में उत्पन्न होने वाले adsorable organic halides (AOX) को कम करने या समाप्त करने के लिए इसकी आवश्यकता महसूस हुई क्योंकि पल्प प्रोडक्शन में AOX जैसे dioxins और furans को कम करने या समाप्त करने (पर्यावरण दृष्टिकोण से) के लिए ब्लीचिंग प्रोसेस में सुधार करना या एक नए एजेंट को इंट्रोड्यूस कराना अनिवार्य हो गया था परिणाम स्वरूप ECF/TCF पल्प के उत्पादन में ओजोन एक वैकल्पिक ब्लीचिंग एजेंट के रूप में आया ।
ऑक्सीजन डिलिग्नीफिकेशन और अन्य गैर क्लोरीन ब्लीचिंग तकनीकों के साथ ओजोन ब्लीचिंग पेपर मिल को AOX उत्सर्जन मानकों को पूरा करने में सक्षम बनाएगा | परिणाम स्वरूप पानी का अधिक से अधिक पुनर्चक्रण होगा और effluent पानी में कलर की मात्रा में भी कमी आएगी |
ओजोन ब्लीचिंग सामान्यतय: मध्यम कंसिस्टेंसी के पल्प में अपेक्षाकृत कम पीएच पर किया जाता है इसमें पहले पल्प को वांछित पी एच लेवल तक अम्लीय करते हैं इसके बाद ओजोन रिएक्टर में ट्रांसफर करते हैं सामान्यतः ओजोन की डोज 0.5-1% तक होती है मिक्सर ओजोन और पल्प फाइबर को अच्छी तरह मिक्स कर देता है | ओजोन रिएक्टर में खर्च की गई गैस को पल्प से अलग किया जाता और पल्पिंग की आगे की प्रक्रिया जारी रहती है|
लाभ:
- क्लोरीन और क्लोरीन डाइऑक्साइड प्रति स्थापित |
- AOX का कम होना या समाप्त होना |
- BOD और COD में कमी |
- ETP पानी में कलर की मात्रा में कमी होना |
- पानी का अत्याधिक पुनर्चक्रण होना |